जोशीमठ का जर्रा-जर्रा थर्रा रहा है, लोगों की रूह कांप रही है, तबाही, बर्बादी, महाविनाश के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। जिन लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई घर बनाने में लगा दी, वो घर अब उन्हें बेबस होकर छोड़ना पड़ रहा है।
जोशीमठ का जर्रा-जर्रा थर्रा रहा है, लोगों की रूह कांप रही है, तबाही, बर्बादी, महाविनाश के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। जिन लोगों ने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई घर बनाने में लगा दी, वो घर अब उन्हें बेबस होकर छोड़ना पड़ रहा है।
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