अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण चल रहा हैं। राम दरबार में प्रभु श्रीराम और माता सीता जी की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल के पोखरा से दो विशाल शिलाएं अयोध्या लाई जा रही हैं। गर्भगृह में स्थापित की जाने वाली भगवान राम और सीता की मूर्तियों को नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र की गंडकी नदी में मिले विशेष पत्थरों से तराश कर बनाया जाएगा। हालांकि, ट्रस्ट फैसला लेगा कि ये मंदिर की मुख्य मूर्तियां रहेंगी या फिर परिसर में कहीं और लगाई जाएंगी। इन शिलाओं को शालिग्राम के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व माना जाता है।
नेपाल में शालिग्रामी नदी, जिसके भारत में प्रवेश करते ही नारायणी नदी और सरकारी दस्तावेजों में बूढ़ी गंडकी नदी के नाम से जानते हैं। शास्त्रीय नाम शालिग्रामी नदी के पत्थर भगवान शालिग्राम के रूप में पूजे जाते हैं। शालिग्राम जहां मिलता है, वो एक मात्र नदी काली गंडकी यानी कि शालिग्रामी नदी है। ये नदी दामोदर कुंड से निकलकर मां गंगा में सोनपुर बिहार में मिलती है। नदी के किनारे से लिए गए इन शिलाखंड में एक 26 टन का और दूसरा 14 टन का है। शालिग्राम शिला निकालने से पहले नदी में क्षमा याचना की गई। विशेष पूजा के साथ इसे रामनगरी यानी अयोध्या लाया जा रहा है। शिला का 26 जनवरी को गलेश्वर महादेव मंदिर में रूद्राभिषेक किया गया।
दोनों शालिग्राम शिलाओं को 26 जनवरी को दो ट्रकों पर नेपाल की शालिग्रामी नदी से लोड किया गया। फूलों और लाल, गेरुआ, पीले, सफेद कपड़ों से सजाकर इन शिलाओं को ट्रकों पर चढ़ाया गया। दोनों ट्रकों को बड़ी लॉरी पर सवार कर सड़क मार्ग से अयोध्या भेजा गया। रास्ते में इन पवित्र शिलाओं के दर्शन और स्वागत के लिए भी लोग जुट रहे हैं। ये शिलाएं बिहार के मधुबनी पहाड़घाट, दरभंगा, माधवपट्टी से फोरलेन होकर मुजफ्फरपुर पहुंचेगी। फिर 31 जनवरी को गोपालगंज होकर सासामूसा से UP में प्रवेश करेगी। बिहार में 51 जगहों पर गांव के लोग पूजा-पाठ करेंगे और शिला पर फूल बरसाएंगे। इसके बाद शिलाएं एक फरवरी को गोरखपुर पहुंच जाएंगी।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, राम लला की प्रतिमा तैयार करने के लिए मूर्ति निर्माण में देश के मशहूर शिल्पियों की तीन सदस्यीय टीम काम कर रही है। खड़ी मुद्रा की प्रतिमा के कई छोटे मॉडल आ चुके हैं। उनमें से किसी एक का चयन मंदिर ट्रस्ट करेगा। यह प्रतिमा साढ़े पांच फीट ऊंची होगी, जिसके नीचे करीब 3 फुट ऊंचा स्टैंड बनाया जाएगा। खगोलशास्त्री इसके लिए ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं, जिससे रामनवमी को दोपहर 12 बजे प्रभु राम के जन्म के अवसर पर रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़कर इसे प्रकाशमान कर सकें।
शिला यात्रा के साथ 100 लोग चल रहे हैं। विश्राम स्थलों पर उनके ठहरने की व्यवस्था की गई है। विहिप के , राजेंद्र सिंह पंकज और नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री कमलेंद्र निधि, जनकपुर के महंत भी यात्रा में हैं। ये रामनगरी तक आएंगे। यात्रा के साथ राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल भी चल रहे हैं।
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