यूएसए में ऑस्कर अवार्ड की शुरुआत होने वाली है। इस बार का ऑस्कर इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के लिए खास है क्य़ोंकि इस साल इंडियन सिनेंमा को ऑस्कर में तीन नॉमिनेशन मिले हैं। सबसे ज्यादा चर्चा फिल्म आरआरआऱ के सांग नाटू-नाटू के नॉमिनेशन की है। जिसे बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है। इसी के साथ बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म में शौनक सेन की ऑल दैट ब्रीथ्स को, बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शार्ट फिल्म कैटेगरी में द एलिफन्ट व्हिस्परर्स को नॉमिनेशन मिला है। लेकिन ऑस्कर दुनिया में सबसे बड़ा अवार्ड क्यों कहा जाता है। ज्यादातर सिनेमा जगत के लोगों को आखिर ऑस्कर की चाह क्यों होती। इसके लिए इसकी हिस्ट्री पर एक नज़र डालना जरुरी है।
ऑस्कर अकादमी अवार्ड जिसे ऑस्कर अवार्ड के नाम से भी जाना जाता है। जो फिल्म जगत का सबसे बड़ा अवार्ड है। इसे अमेरिका की एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आटर्स एंड साइंसेस, फिल्म डायरेक्टर, एक्टर। राइटर और फिल्म जगत से जुडे लोगों को उनके बेहेतरीन काम के सम्मान में देती है।
वैसे, ऑस्कर अवॉर्ड विनर को ऑस्कर ट्रॉफी ही मिलती है। इसमें किसी भी तरह का कैश प्राइज नहीं दिया जाता है। हालांकि ये अलग बात है कि अवॉर्ड जीतने वाले की मार्केट वैल्यू बढ़ जाती है। इसी के साथ इंटरेस्टिंग बात ये है कि विनर को ट्रॉफी पर मालिकाना हक नहीं मिलता है। विनर किसी भी हालात में ट्रॉफी को कहीं और बेच नहीं सकता और अगर कोई ऑस्कर विनर इस ट्रॉफी को बेचना चाहता है तो उसे इस खूबसूरत ट्रॉफी को एकेडमी को ही बेचना होगा। जो इस ट्राफी को सिर्फ 1 डॉलर में खरीद सकती है।
ऑस्कर की शुरुआत साल 1927 में मोशन पिक्चर्स इंडस्ट्री के 36 प्रस्टीजियस लोगों ने की थी। एमजीएम स्टूडियो यानी मेट्रो गोल्डविन मेयर के हेड लुइस बी मेयर और उनके तीन गेस्ट एक्टर ने मिलकर फिल्म इंडस्ट्री के लिए इस आर्गेनाइजेशन को प्लान किया। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के क्रिएटिव कामों से जुड़े लोगों के सामने ये प्लान रखा।
जिसके लिए 11 जनवरी 1927 को लॉस एंजिल्स के एंबेसेडर होटल में एक डिनर पार्टी रखी गई। इसमें शामिल 36 लोगों में इस आर्गेनाइजेशन को बनाने को लेकर बात हुई। फिर 11 मई 1927 को बिल्ट मोर होटल में एकेडमी को एक एनजीओ के तौर पर चार्टर की अनुमति के बाद एक ऑफिशियल पार्टी हुई, जहां पर 300 गेस्ट में 230 गेस्ट्स ने 100 डॉलर की फीस की अदायकी करके एकेडमी की मेंबरशिप हासिल कर ली।
पहला एकेडमी समारोह हॉलीवुड रुजवेल्टू होटल में 16 मई 1929 में हुआ, इसमें 270 लोग शामिल हुए। इस पेड इवेंट की टिकट की कीमत 5 डॉलर थी। 1929 के इस अवॉर्ड में 1927 से 1928 के दौरान बनी फिल्मों से जुड़े 15 लोगों को अवार्ड दिया गया। उस समय इसपर किसी की नजर नहीं थी, लेकिन अब ऑस्कर पर पूरी दुनिया की नजर रहती है।
ऑस्कर की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक कोई भी मोशन फिल्म जो अमेरिका के 6 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क, शिकागो, इलिनोयस, मियामी, फ्लोरिडा और अटलांटा, जॉर्जिया, में से कम से कम एक जगह कमर्शियल थियेटर में दिखाई गई हो और फिल्म 40 मिनट से ज्यादा की हो साथ ही लगातार 7 दिनों तक चली हो, ऑस्कर में नॉमिनेशन प्राप्त करने के योग्य हो जाती है। ऑस्कर में विदेशी लैग्वेज की बेस्ट फिल्म की भी एक कैटेगरी होती है। इंडिया की तरफ से फेडरेशन ऑफ इंडिया कमेटी की ओर से ऑस्कर में फिल्म भेजी जाती है।
फिल्म को पहले नॉमिनेशन लिस्ट, फिर रिमाइंडर लिस्ट और फिर वोटिंग से गुजरना पड़ता है। अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स ऑर्टस एंड साइंसेस की अपनी 6000 प्रोफेशनल मेंबर्स की एक रिसर्च टीम है। इसमें फिल्म और पीआर इंडस्ट्री से जुडे लोग शामिल होते हैं।
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