न्यूटन के सिर पर जब सेब गिरा था, तो उन्होंने ग्रेविटी की खोज कर दी थी। तो ह्यूज बीवर के सामने से जब चिड़ियों का झुंड तेजी से निकल गया और वो पहचान नहीं सके कि वो पक्षी, आखिर कौन था। तो उन्होंने गिनीज बुक बना दी। हाल में दुनिया के सबसे बड़े रेलवे प्लेटफार्म हुगली का नाम गिनीज बुक में दर्ज हुआ। आए दिन नए-नए रिकार्ड के साथ गिनीज बुक नाम भी अंडरलाइन हो जाता है। तो आज गिनीज बुक क्या है। कैसे इसमें रिकार्ड दर्ज होते हैं और इसका आइडिया कैसे डेवलप हुआ, इस बारे में जानते हैं।
गिनीज बुक की कहानी सिर्फ सात दशक पुरानी ही है...इसकी कहानी शुरु होती है 1950 के दशक में जब आयरलैंड में सर ह्यूज बीबर जोकि गिनीज ब्रेवरी कंपनी के मैनिजिंग डायरेक्टर हैं। वो अपने फ्रेंड्स के साथ पक्षियों का शिकार कर रहे थे। तभी उनके सामने से पक्षियों का एक झुंड तेजी से गुजरा। पक्षियों की स्पीड देखकर सर ह्यूज बीबर और दोस्त हैरानी में पड़ गए कि इतनी तेजी से उड़ने वाले पक्षी आखिर कौन हैं। सभी डिफरेंट जवाब दे रहे थे, लेकिन कश्मकश ये थी कि आखिर किसका जवाब सही माना जाए। पक्षियों के बारे में जानने के लिए बुक्स खंगाली गई और जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की गई।
यहां से ही आईडिया आया कि एक ऐसी किताब बनाई जाए जिसमें सारे फैट्स हों। फिर 1954 में सर ह्यूज बीबर ने अपना ये आईडिया ट्वींस ब्रदर्स नोरिस और रोस से शेयर किया। ये दोनो भाई लंदन के एक फैक्ट फाइंडिंग एंजेंसी में काम करते थे। दोनों को ये आईडिया पंसद आया और गिनीज बुक पर काम शुरु हुआ।
लंदन की फ्लीट स्ट्रीट के एक पुराने जिम को ऑफिस बनाया गया, जहां सिर्फ दो कमरों से ऑफिस की शुरुआत हुई। 27 अगस्त 1955 में आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद 198 पेज की ये बुक पब्लिश हुई। मेहनत रंग लाई और इस किताब को इतनी पॉपुलेरिटी मिली कि उस साल दिसंबर तक ब्रिटेन की ये बेस्टसेलर बन गई। फिर नेक्स्ट ईयर बुक को अमेरिका में लॉन्च किया गया। साल 1960 तक इस बुक की 5 लाख कॉपीज सोल्ड हो चुकीं थी। इस सक्सेस के बाद ये बुक डिफरेंट लैंग्वेज में पब्लिश हुई। वर्तमान में 100 से ज्यादा देशों में 37 अलग-अलग भाषाओं में गिनीज बुक पब्लिश होती है।
तो अब सवाल उठता है कि गिनीज बुक में नाम कैसे लिखवाते हैं...क्या वो खबरो पर नजर रखते हैं। ऐसा कुछ नहीं है। गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने के लिए पहले सबसे पहले आपको गिनीज बुक की वेबसाइट guinnessworldrecords.com पर जाना होगा। फिर रिकार्ड्स के अंदर APPLY TO SET OR BREAK A RECORD पर जाकर अकाउंट क्रिएट करके कैटेगरी को सर्च करके 'Apply Now' करना होगा।
इस रिकार्ड में अपने रिकार्ड्स की डीटेल्स भरी जाती हैं। फिर अगर ऐप्लिकेशन मंजूर हो जाती है तो गिनीज बुक की तरफ से आपको आगे बढ़ने के लिए गाइडलाइन की ईमेल आएगी। गाइडलाइन को मानते हुए अगर नियमों के मुताबिक रिकार्ड्स सही होते हैं तो आपका नाम भी गिनीज बुक में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जाता है। अगर रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होती है तो गिनीज बुक की तरफ से कन्फर्मेशन ईमेल आता है। वैसे इस पूरे प्रोसेस में 12 हफ्ते या इससे कुछ ज्यादा का वक्त लगता है। लेकिन अगर आपको रिजल्ट जल्दी चाहिए तो फॉस्ट ट्रैक का लिंक भी होता है। लेकिन उसके लिए आपको कीमत चुकानी होती है...और ये कीमत होती है गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स के अधिकारियों के लंदन से इंडिया आने-जाने के एयर टिकट, उनके रहने और खाने-पीने का खर्च...जिसमें मौजूदा समय में तकरीबन 5 से 6 लाख का खर्च आता है। लेकिन इसमें आपका काम 4 से 5 वर्किंग डेज में हो जाता है।
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