साल 2001 में ‘नायक’ फिल्म रिलीज हुई थी। इस फिल्म में एक्टर अनिल कपूर ने एक दिन का सीएम बनकर फैसला ऑन दा स्पॉट किया। रियल लाइफ में देश की राजनीति में भी ऐसे दो मौके आए जब किसी सीएम को 24 घंटे बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। इनमें से एक थे मध्यप्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह और दूसरे उत्तर प्रदेश के सीएम जगदंबिका पाल। लेकिन आज किस्सा अर्जुन सिंह का।
साल 1985, एमपी में पांच साल तक सीएम रहने के बाद अर्जुन सिंह एक बार फिर बहुमत के साथ चुनाव जीतकर आए। इस चुनाव में कांग्रेस को 251 सीटें मिली। कांग्रेस ने सत्ता में दोबारा वापसी की। अर्जुन सिंह सबसे लोकप्रिय चेहरा थे तो उन्हें ही विधायक दल का नेता चुना गया और 11 मार्च साल 1985 को उन्होंने सीएम पद की दोबारा शपथ ली। अर्जुन सिंह कैबिनेट के मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए जब दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलने पहुंचे। तो ऐसा कुछ हो गया कि भारतीय राजनीति में उथल-पुथल मच गई। असल में हुआ कुछ यूं कि
जैसे ही अर्जुन सिंह पीएम आवास में राजीव गांधी के सामने पहुंचे तो राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह का हाथ पकड़कर कहा आपको पंजाब का राज्यपाल बनना है। ये बात सुनकर अर्जुन सिंह अवाक रह गए। तब उनके हाथ में मंत्रिमंडल के सदस्यों की सूची थी। जिसे वे फाइनल करवाना चाहते थे। लेकिन अर्जुन सिंह ने राजीव गांधी के फैसले का सम्मान करते हुए कोई आपत्ति दर्ज नहीं की।
राजीव गांधी ने उनसे एमपी में सीएम पद और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए उनके पसंदीदा नाम पूछे। थोड़ी ही देर में अर्जुन सिंह ने अपने बेटे अजय सिंह को फोन लगाया और कहा कि वे मोतीलाल वोरा को लेकर एयरपोर्ट पहुंच जाएं।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 'जिस प्लेन से अर्जुन सिंह दिल्ली पहुंचे थे, उसी प्लेन को वापस भोपाल भेज कर अजय सिंह और मोतीलाल वोरा को दिल्ली बुलाया गया। तब तक दोनों को ही ये बात पता नहीं था कि दिल्ली में क्या चल रहा है।
ऐसा कहा जाता है कि रास्ते भर मोतीलाल वोरा, अजय सिंह से मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद के लिए अर्जुन सिंह से सिफारिश करने की बात कहते रहे। लेकिन मोतीलाल वोरा जब राजीव गांधी से मिले और थोड़ी देर बाद ही मोतीलाल वोरा के सीएम बना दिए जाते हैं। 12 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह को इस्तीफा देना पड़ता है। हालांकि अर्जुन सिंह ज्यादा समय एमपी से दूर नहीं रह सके। उन्होंने तीसरी बार 14 फरवरी साल 1988 को मध्य प्रदेश के सीएम के रूप में शपथ ली।
आज भी ये चर्चा होती है कि राजीव गांधी ने ये फैसला क्यों लिया और अर्जुन सिंह ने उसे क्यों माना। जानकारों के मुताबिक इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पंजाब समस्या कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती थी। जिसे सुलझाने के लिए राजीव गांधी को अर्जुन सिंह जैसे कुशल प्रशासक की तलाश थी। कई का का ये भी मानना है कि एमपी में अर्जुन सिंह का कई नेताओं से विवाद था। उस समय मध्यप्रदेश में चुरहट लॉटरी कांड भी हो गया था। अर्जुन सिंह की भोपाल में बनी एक कोठी भी विवादों के घेरे में थी। जिसके कारण ये फैसला लेना पड़ा।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अर्जुन सिंह पॉलिटिक्स में आने से पहले फिल्मों में काम करना चाहते थे। ऐसे में संयोग हो सकता है कि अर्जुन सिंह के साथ रील लाइफ जैसा किस्सा उनकी रियल लाइफ में घटा। फिल्म नायक में अनिल कपूर को एक दिन का सीएम बनाया जाता है वहीं अर्जुन सिंह से सीएम बनने के 24 घंटे बाद इस्तीफा ले लिया जाता है।
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