अगर आप एक्टिव इंटरनेट यूज़र हैं, तो आपने Chat GPT के बारे में जरूर सुना होगा। ये एक AI ऑपरेटेड चैटबॉट प्रोटोटाइप है, जिसे OpenAI ने डेवलप किया है। ये वही फ़र्म है जिसे Text to Image जनरेटर DALL-E डेवलप करने के लिए जाना जाता है। 30 नवंबर 2022 को Chat GPT को एक प्रोटोटाइप के तौर पर लॉन्च किया गया। इंडिया में भी इसे काफी पसंद किया जा रहा है।
Chat GPT की शुरुआत सैम अल्टमैन नाम के व्यक्ति ने एलन मस्क के साथ मिलकर 2015 में की थी। हालांकि, तब ये एक नॉनप्रॉफिट कंपनी थी। बाद में एलन मस्क ने इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया। चैट जीपीटी को सर्च इंजन के अपग्रेड वर्जन के तौर पर मार्केट में उतारा गया था। जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा जानकारियों को पलक झपकते ही प्राप्त कर सकते हैं. चैट जीपीटी कुछ ही समय में इतना पॉपुलर हो गया कि लोग ऐसा मान रहे थे कि अब गूगल पीछे छूट जाएगा और चैट जीपीटी ही सबसे बेहतरीन सर्च इंजन की तरह काम करेगा।
चैटजीपीटी एक सॉफ्टवेयर है, इसका पूरा नाम जेनेरेटिव प्रेट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर है। इसे आप एक आधुनिक एनएमस यानी Neural network based machine learning model भी कह सकते हैं। सीईओ सैम अल्टमैन की मानें तो ये सॉफ्टवेयर गूगल की तरह आपको सिर्फ रियल टाइम सर्च ही नहीं देता, बल्कि आपके पूछे सवालों के बेहद साफ और सटीक शब्दों में जवाब भी देता है। ये लोगों के बीच बहुत तेजी से अपनी जगह बना रहा है।
साल 2015 में एलन मस्क के इस प्रोजेक्ट को छोड़ने के बाद चैट जीपीटी में माइक्रोसॉफ्ट ने निवेश किया और अब ये कंपनी नॉन प्रॉफिट से फॉर प्रॉफिट हो गई है, इस कंपनी की वैल्यूशन आज 20 बिलियन डॉलर है। हालांकि, लोग इसे लेकर चर्चा करने के साथ-साथ इससे कुछ डरे हुए भी हैं। खास तौर से ऐसे लोग जिनका काम सवाल-जवाब से जुड़ा है। वकील, कस्टमर केयर और टीचर इन सब की रोजी रोटी इनके ज्ञान से चलती है और ये आपके सवालों का जवाब देकर ही अपना रोजगार चला रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि चैट जीपीटी ऐसे लोगों का रोजगार छीन सकती है।
एक तरफ जहां ओपन एआई के चैटबॉट को भविष्य के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है तो दूसरी तरफ इसे बच्चों के लिए खतरा भी बताया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये बच्चों की क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी को कम या खत्म कर देता है. एआई टूल की मदद से बच्चे अपना होमवर्क, असाइनमेंट और लैब टेस्ट आसानी से कर रहे हैं. यहां तक कि इस चैटबॉट ने एमबीए और लॉ का एग्जाम तक पास कर दिया है। कुछ समय पहले ये खबर सामने थी कि अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी ने इस पर बैन ठोक दिया है. अब ऐसी ही खबर भारत से भी सामने आई है जहां बेंगलुरु की एक यूनिवर्सिटी ने इस चैटबॉट को यूनिवर्सिटी के अंदर ब्लॉक कर दिया है। दरअसल, इस चैटबॉट से बच्चे एग्जाम, लैब टेस्ट और कई असाइनमेंट कर रहे थे जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने ये फैसला लिया है.
ओपन एआई की तरफ से जो जानकारी साझा की गई है उसके हिसाब से चैट जीपीटी का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को इसका सब्सक्रिप्शन लेना पड़ेगा, ये प्रोसेस किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरह ही रहेगा जिस पर आपको हर महीने एक सब्सक्रिप्शन खरीदना पड़ेगा और तब जाकर आप इसका इस्तेमाल कर पाएंगे। हालांकि इसका एक फ्री वर्जन भी यूजर्स के लिए उपलब्ध रहेगा लेकिन ये कितना दमदार होगा इस बात में अभी से लोगों को शक होने लगा है। लोगों को चैट जीपीटी इस्तेमाल करने में काफी मजा आ रहा था, लेकिन अब ये फ्री नहीं रहा और इसके लिए यूजर्स को एक मोटी रकम हर महीने चुकानी पड़ेगी।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हर महीने चैट जीपीटी को इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को कोई छोटी मोटी रकम नहीं चुकानी पड़ेगी बल्कि ओपन एआई की तरफ से लांच किए गए प्रोफेशनल प्लान के लिए यूजर्स को हर महीने $42 यानी तकरीबन 3400 रुपए चुकाने पड़ेंगे जो आम इंसान के हिसाब से एक बड़ी रकम है, क्योंकि शायद ही कोई व्यक्ति चैट जीपीटी का इतना इस्तेमाल करेगा. फिलहाल इस नए फैसले से यूजर्स में निराशा का माहौल है।
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